परिचय
मनुष्य के लिए सांस लेना जीवन की सबसे बुनियादी ज़रूरत है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान धरती के कितने ऊपर तक बिना ऑक्सीजन के जा सकता है? यह प्रश्न विज्ञान, पर्वतारोहण और अंतरिक्ष अनुसंधान सभी के लिए बेहद रोचक है। धरती पर ऑक्सीजन का वितरण असमान है, और जैसे-जैसे हम ऊँचाई पर जाते हैं, हवा पतली होती जाती है। यही कारण है कि ऊँचाई पर चढ़ने वाले पर्वतारोहियों और अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष तैयारी करनी पड़ती है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि वायुमंडल की परतों में ऑक्सीजन कैसे बदलती है, शरीर की सीमाएँ क्या हैं और वैज्ञानिकों ने इस पर क्या शोध किए हैं।
वायुमंडल और ऑक्सीजन का वितरण
ट्रोपोस्फीयर
- यह धरती की सतह से लगभग 12 किलोमीटर तक फैला हुआ है।
- अधिकतर ऑक्सीजन यहीं पाई जाती है।
- यही परत मौसम, बादल और बारिश का कारण बनती है।
स्ट्रैटोस्फीयर
- 12 से 50 किलोमीटर तक फैली होती है।
- यहाँ ऑक्सीजन बहुत कम हो जाती है।
- ओज़ोन लेयर भी इसी परत में है जो हमें सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाती है।
मेसोस्फीयर
- यह परत 50 से 85 किलोमीटर तक होती है।
- यहाँ ऑक्सीजन लगभग न के बराबर होती है।
- इंसान यहाँ बिना तकनीकी मदद के कुछ सेकंड से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता।
मानव शरीर को ऑक्सीजन की आवश्यकता क्यों है?
- श्वसन प्रक्रिया – ऑक्सीजन के बिना कोशिकाएँ ऊर्जा नहीं बना सकतीं।
- मस्तिष्क पर प्रभाव – 3-5 मिनट तक ऑक्सीजन न मिलने पर मस्तिष्क को स्थायी क्षति हो सकती है।
- रक्त में ऑक्सीजन – ऑक्सीजन की कमी से रक्त में हाइपोक्सिया होता है, जिससे बेहोशी और मौत तक हो सकती है।
समुद्र तल से ऊँचाई पर ऑक्सीजन स्तर
- 2000 मीटर तक – सामान्य व्यक्ति आसानी से रह सकता है।
- 4000 मीटर तक – सांस लेने में थोड़ी कठिनाई होती है।
- 8000 मीटर (डेथ ज़ोन) – यहाँ बिना अतिरिक्त ऑक्सीजन के जीवित रहना लगभग असंभव है।
पर्वतारोहियों का अनुभव
एवरेस्ट (8848 मीटर) दुनिया की सबसे ऊँची चोटी है। यहाँ का वातावरण इतना पतला है कि ऑक्सीजन सिलेंडर के बिना इंसान ज्यादा देर नहीं रह सकता। बहुत से पर्वतारोही अपनी जान गंवा चुके हैं क्योंकि उन्होंने अतिरिक्त ऑक्सीजन का उपयोग नहीं किया।
बिना ऑक्सीजन के वैज्ञानिक प्रयोग
वैज्ञानिकों ने उच्च पर्वतीय क्षेत्रों और कृत्रिम चैम्बर में मानव शरीर पर ऑक्सीजन की कमी के प्रभावों का अध्ययन किया।
- पाया गया कि 7000 मीटर के ऊपर लगातार रहने पर शरीर की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
- 8000 मीटर से ऊपर “डेथ ज़ोन” शुरू होता है, जहाँ बिना ऑक्सीजन इंसान कुछ घंटे से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता।
एवरेस्ट और ‘डेथ ज़ोन’
- 8000 मीटर के ऊपर ऑक्सीजन का स्तर इतना कम हो जाता है कि फेफड़े उसे ग्रहण नहीं कर पाते।
- रक्त गाढ़ा होने लगता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
- पर्वतारोहियों को हर कदम भारी लगता है।
हवाई जहाज़ और ऑक्सीजन स्तर
- हवाई जहाज़ 10-12 किलोमीटर की ऊँचाई पर उड़ते हैं।
- केबिन को दबावयुक्त (प्रेशराइज्ड) रखा जाता है ताकि यात्रियों को सांस लेने में कठिनाई न हो।
- आपात स्थिति में ऑक्सीजन मास्क गिर जाते हैं।
अंतरिक्ष और ऑक्सीजन
- अंतरिक्ष में बिल्कुल भी ऑक्सीजन नहीं होती।
- स्पेस स्टेशन में कृत्रिम ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है।
- अंतरिक्ष यात्री स्पेससूट पहनकर काम करते हैं जिसमें जीवन रक्षक प्रणाली होती है।
धरती से कितने ऊपर तक इंसान रह सकता है?
- 3000 मीटर तक इंसान सामान्य रह सकता है।
- 8000 मीटर से ऊपर अतिरिक्त ऑक्सीजन जरूरी है।
- अंतरिक्ष तक पहुँचने के लिए तकनीकी सहायता अनिवार्य है।
वैज्ञानिक निष्कर्ष
चिकित्सा और जीवविज्ञान दोनों दृष्टिकोण से, मानव शरीर 8000 मीटर से ऊपर बिना ऑक्सीजन के जीवित नहीं रह सकता। यह सीमा हमारी जैविक क्षमता की पराकाष्ठा है।
वास्तविक जीवन उदाहरण
- पर्वतारोही तेनजिंग नॉर्गे और एडमंड हिलेरी ने 1953 में ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद से एवरेस्ट पर चढ़ाई की।
- अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग और यूरी गागरिन ने ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम की मदद से अंतरिक्ष यात्रा की।
निष्कर्ष
इंसान धरती के कितने ऊपर तक बिना ऑक्सीजन के जा सकता है – इसका जवाब है लगभग 8000 मीटर तक। इसके बाद मानव शरीर की सीमाएँ उसे आगे बढ़ने से रोकती हैं। चाहे पर्वतारोहण हो या अंतरिक्ष यात्रा, ऑक्सीजन हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता है। यही कारण है कि वैज्ञानिक तकनीक और उपकरण विकसित करते रहते हैं ताकि इंसान अपनी सीमाओं से परे भी पहुँच सके।
Q1. क्या इंसान 10,000 मीटर ऊँचाई पर बिना ऑक्सीजन रह सकता है?
उत्तर -: नहीं, इतनी ऊँचाई पर बिना ऑक्सीजन कुछ ही मिनटों में बेहोशी हो जाएगी।
Q2. एवरेस्ट पर बिना ऑक्सीजन चढ़ाई संभव है?
उत्तर -: कुछ पर्वतारोही ऐसा कर चुके हैं, लेकिन यह बेहद खतरनाक और जानलेवा है।
Q3. हवाई जहाज़ में हम क्यों सांस ले पाते हैं?
उत्तर -: क्योंकि विमान के केबिन को प्रेशराइज्ड रखा जाता है।
Q4. अंतरिक्ष यात्री कैसे सांस लेते हैं?
उत्तर -: वे स्पेससूट और स्पेस स्टेशन की ऑक्सीजन सप्लाई पर निर्भर रहते हैं।
Q5. ऊँचाई पर चढ़ने से शरीर में क्या बदलाव होते हैं?
उत्तर -: सांस फूलना, सिरदर्द, नींद की समस्या और रक्त का गाढ़ा होना।
Q6. डेथ ज़ोन क्या है?
उत्तर -: 8000 मीटर से ऊपर का क्षेत्र, जहाँ बिना ऑक्सीजन इंसान जीवित नहीं रह सकता।