धारा 370 और 35A क्या है? – एक विस्तृत विश्लेषण
भारत का संविधान अनेक धाराओं और अनुच्छेदों का एक विस्तृत दस्तावेज़ है, जो देश के प्रत्येक नागरिक को अधिकार, कर्तव्य और संरचना प्रदान करता है। इन्हीं में से दो बेहद महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक धाराएँ थीं – धारा 370 और धारा 35A। ये धाराएँ विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर राज्य से जुड़ी थीं और दशकों तक देश की राजनीति, समाज और प्रशासनिक व्यवस्था का एक अहम हिस्सा बनी रहीं।
इस लेख में हम जानेंगे कि धारा 370 और 35A क्या थीं, इनका इतिहास क्या है, इनका प्रभाव क्या रहा, और इन्हें हटाने का क्या तात्पर्य है।
धारा 370 क्या है?
धारा 370 भारतीय संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था, जिसे जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्तता देने के उद्देश्य से बनाया गया था। यह धारा 17 अक्टूबर 1949 को संविधान सभा द्वारा शामिल की गई थी।
धारा 370 के मुख्य बिंदु:
- विशेष दर्जा: जम्मू-कश्मीर को भारत में एक विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। इसका अर्थ यह था कि भारतीय संसद केवल रक्षा, विदेश नीति और संचार से जुड़े मामलों में ही इस राज्य पर कानून बना सकती थी।
- संविधान की सीमित पहुंच: भारत का संविधान पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था। राज्य के लिए एक अलग संविधान था, जो 1957 में लागू हुआ।
- राष्ट्रपति की सहमति आवश्यक: यदि भारत सरकार को कोई केंद्रीय कानून जम्मू-कश्मीर में लागू करना होता, तो इसके लिए राज्य सरकार की सहमति आवश्यक थी।
- द्वैध नागरिकता का प्रावधान नहीं: जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय नागरिकता प्राप्त थी, परंतु राज्य के बाहर के लोग वहाँ ज़मीन नहीं खरीद सकते थे।
धारा 35A क्या है?
धारा 35A भारतीय संविधान में एक विशेष अनुच्छेद था, जिसे 1954 में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा जोड़ा गया था। इसे संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत जोड़ा गया, और यह जम्मू-कश्मीर विधान सभा को यह शक्ति देता था कि वह ‘स्थायी निवासियों’ को परिभाषित कर सके और उन्हें विशेष अधिकार दे सके।
धारा 35A के मुख्य बिंदु:
- स्थायी निवासी की परिभाषा: इस धारा के तहत केवल जम्मू-कश्मीर के ‘स्थायी निवासी’ ही वहाँ संपत्ति खरीद सकते थे, सरकारी नौकरियों में आवेदन कर सकते थे, और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते थे।
- बाहरी नागरिकों पर रोक: भारत के अन्य राज्यों के नागरिक न तो वहाँ ज़मीन खरीद सकते थे और न ही वहाँ की सरकारी नौकरियों में आवेदन कर सकते थे।
- महिलाओं के अधिकार: यदि कोई जम्मू-कश्मीर की महिला किसी बाहरी राज्य के पुरुष से शादी कर लेती थी, तो उसके बच्चों को ‘स्थायी निवासी’ का दर्जा नहीं मिलता था। यह नियम बाद में बदल दिया गया।
धारा 370 और 35A का ऐतिहासिक संदर्भ
विभाजन और विलय
1947 में भारत के विभाजन के समय, जम्मू-कश्मीर एक रियासत थी, जिसके शासक महाराजा हरि सिंह थे। उन्होंने स्वतंत्र रहना चाहा, लेकिन कबायलियों के हमले और पाकिस्तान की आक्रामक नीति के चलते उन्हें भारत के साथ विलय करना पड़ा।
विलय पत्र (Instrument of Accession)
26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ ‘विलय पत्र’ पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत केवल तीन विषय – रक्षा, विदेशी मामले, और संचार – भारत सरकार के अधीन आए। इसी संदर्भ में धारा 370 को संविधान में जोड़ा गया।
धारा 370 और 35A का प्रभाव
सकारात्मक पक्ष:
- संस्कृति की रक्षा: इन धाराओं ने जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को बनाए रखने में मदद की।
- स्थानीय रोजगार की सुरक्षा: बाहरी लोगों को वहाँ की नौकरियों से दूर रखकर स्थानीय युवाओं के रोजगार को प्राथमिकता दी गई।
- संपत्ति अधिकारों की रक्षा: भूमि और संपत्ति बाहरी निवेश से सुरक्षित रही।
नकारात्मक पक्ष:
- देश की एकता पर सवाल: इससे देश में ‘एक देश, दो विधान’ की स्थिति उत्पन्न होती थी, जो संघीय एकता के खिलाफ था।
- विकास में बाधा: बाहरी निवेश के ना होने के कारण राज्य में विकास की गति धीमी रही।
- महिलाओं के अधिकारों का हनन: धारा 35A के कारण महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिलते थे।
धारा 370 और 35A को हटाना: ऐतिहासिक निर्णय
5 अगस्त 2019 – एक क्रांतिकारी दिन
5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए धारा 370 और 35A को निष्प्रभावी कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में यह प्रस्ताव रखा और इसके समर्थन में भारी बहुमत मिला।
क्या-क्या बदलाव हुए?
- जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त: अब यह एक सामान्य भारतीय राज्य के रूप में कार्य करता है।
- राज्य का पुनर्गठन: जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँटा गया – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।
- भारतीय कानूनों की पूर्ण रूप से लागू: अब भारतीय संविधान के सभी अनुच्छेद और कानून वहाँ लागू होते हैं।
इस फैसले के प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव:
- राष्ट्रीय एकता को बल: पूरे देश में एक समान कानून व्यवस्था लागू हुई।
- विकास की गति: निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को बढ़ावा मिला।
- महिला सशक्तिकरण: अब महिलाओं को समान अधिकार मिल रहे हैं।
- दलित और पिछड़ा वर्ग: अनुसूचित जातियों और जनजातियों को आरक्षण जैसे अधिकार अब जम्मू-कश्मीर में भी मिलने लगे।
आलोचनाएँ और चुनौतियाँ:
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रश्न: बिना राज्य विधानसभा की अनुमति के यह फैसला लिया गया।
- स्थानीय असंतोष: कुछ वर्गों में इसे जबरदस्ती का निर्णय माना गया।
- सुरक्षा की स्थिति: कुछ समय के लिए राज्य में इंटरनेट बंदी और भारी सुरक्षा तैनात की गई।
धारा 370 और 35A क्या है : निष्कर्ष
धारा 370 और 35A भारतीय संविधान के ऐसे प्रावधान थे, जिनका ऐतिहासिक, राजनीतिक और सामाजिक महत्व बहुत गहरा रहा है। जहाँ एक ओर इन्होंने जम्मू-कश्मीर की विशिष्टता को बनाए रखा, वहीं दूसरी ओर समय के साथ ये धाराएँ राज्य के विकास, एकता और समानता के मार्ग में बाधा बन गई थीं।
2019 में इन्हें हटाने का निर्णय कई दृष्टिकोण से ऐतिहासिक साबित हुआ है – यह भारत की संप्रभुता, संघीय ढांचे और सामाजिक समानता की दिशा में एक साहसिक कदम था। इस निर्णय के दीर्घकालिक प्रभाव आने वाले वर्षों में और स्पष्ट होंगे, लेकिन एक बात निश्चित है – यह निर्णय भारतीय राजनीति के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
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1. धारा 370 क्या है?
उत्तर -: धारा 370 भारतीय संविधान का एक विशेष प्रावधान था, जो जम्मू-कश्मीर को भारत में विशेष दर्जा प्रदान करता था। इसके तहत भारत के कई कानून सीधे उस राज्य में लागू नहीं होते थे।
2. धारा 35A क्या है?
उत्तर -: धारा 35A संविधान में जोड़ा गया एक अनुच्छेद था, जो जम्मू-कश्मीर विधानसभा को ‘स्थायी निवासी’ परिभाषित करने और उन्हें विशेष अधिकार देने की अनुमति देता था।
3. धारा 370 और 35A में क्या अंतर है?
उत्तर -: धारा 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता देती थी, जबकि धारा 35A स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार और सुविधाएं प्रदान करती थी।
4. धारा 370 और 35A को कब और क्यों हटाया गया?
उत्तर -: 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35A को निष्प्रभावी कर दिया, ताकि जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ पूर्ण रूप से एकीकृत किया जा सके।
5. धारा 370 हटने के बाद क्या बदलाव हुए?
उत्तर -: जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया, उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँटा गया – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। अब भारत के सभी कानून वहाँ पूरी तरह लागू होते हैं।
6. क्या धारा 370 स्थायी थी?
उत्तर -: नहीं, धारा 370 संविधान में ‘अस्थायी प्रावधान’ (Temporary Provision) के रूप में जोड़ी गई थी।
7. धारा 35A को संविधान में कैसे जोड़ा गया था?
उत्तर -: धारा 35A को 1954 में राष्ट्रपति के आदेश (Presidential Order) के माध्यम से संविधान में शामिल किया गया था।
8. क्या धारा 370 हटाने से जम्मू-कश्मीर में विकास हुआ है?
उत्तर -: सरकार के अनुसार, अब वहाँ निवेश, रोजगार, और विकास के नए अवसर खुले हैं। हालांकि, इसका प्रभाव पूरी तरह देखने में कुछ समय लगेगा।
9. क्या धारा 370 हटाना सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध माना गया है?
उत्तर -: सुप्रीम कोर्ट में यह मामला विचाराधीन रहा, और दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 370 को हटाना संविधान सम्मत करार दिया।
10. क्या अब कोई भी भारतीय जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद सकता है?
उत्तर -: हाँ, अब जम्मू-कश्मीर में भारत का कोई भी नागरिक ज़मीन या संपत्ति खरीद सकता है, जैसा कि अन्य राज्यों में होता है।